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तो क्या जनआहार में मिलता है खराब खाना, AC कोच के यात्री ने की शिकायत, स्टेशन पर खाने का हाल, जानिए इस रिपोर्ट ने

NEWS GUURU पीडीडीयू नगर : दिल्ली-हावड़ा रेल रूट का प्रमुख रेलवे स्टेशन पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर स्टाल पर खाना खरीद रहे है तो थोड़ा उसे जांच लें, कहीं आपको बासी या बदबूदार खाना तो नहीं परोसा जा रहा है । दरअसल छठ पर्व पर स्पेशल ट्रेन परिवार संग घर जा रहे AC कोच के एक यात्री ने डीडीयू जंक्शन के जनआहार से घटिया खाना दिए जाने की शिकायत रेलवे से की है । यात्री के अनुसार एक तो पहले उससे एक प्लेट खाने के 130 रूपये मांगे गए बाद जब यात्री ने रुख कड़ा किया तो 110 रूपये लिए। हालांकि यात्री के अनुसार रेलवे ने उस प्लेट का रेट 90 रूपये ही रखा है ।

मूल रूप से पटना के रहने वाले यात्री अजय ने बताया कि वह स्पेशल ट्रेन 02310 के b7 कोच में परिवार के साथ सफर कर रहा था । स्पेशल ट्रेन के अत्यधिक विलंब से चलने से वो पहले से ही परेशान थे। वहीं ट्रेन में पैंट्री नहीं होने के कारण भूख ने भी उन्हें व्याकुल करा दिया था । ट्रेन से डीडीयू जंक्शन पर पहुंचते ही अजय खाना लेने जनआहार के स्टाल पर गया । इसके बाद उनसे एक प्लेट खाना मांगा । रेल यात्री अजय के अनुसार स्टाल वेंडर ने उससे 130 रुपए देने को कहा । इस पर उसने आपत्ति जताई, बाद में जब यात्री ने रुख कड़ा किया तो स्टॉल पर खड़ा वेंडर 110 रुपए में खाना देने को तैयार हो गया । भूख से व्याकुल अजय में 110 रूपये ऑनलाइन पे किए और खाना लेकर अपनी सीट पर बैठ गया । अजय ने बताया कि जैसे उसने खाना खोला तो उसमें से काफी बदबू आ रही थी । ट्रेन खुल चुकी थी । मजबूरी ने यात्री को पाने खाना फेंकना पड़ा । इसके बाद उसने इसकी शिकायत एक्स पर रेल के उच्चाधिकारियों से की ।

भीड़ में खराब खाना बेचकर मुनाफा कमाने में जुटे स्टाल संचालक

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर यात्रियों के बेहतर सुविधा दिए जाने का दावा मंडल के अधिकारियों की ओर से किया जाता है । समय पर अधिकारी निरीक्षण कर फोटो खींच कर बेहतर कार्य को प्रदर्शित करने का प्रयास भी करते है लेकिन धरातल पर स्थित काफी अलग है । डीडीयू जंक्शन पर खराब खाना मिलने, ओवरचार्जिंग और यात्रियों से मारपीट का कोई नया मामला नहीं है है। इसके पहले भी मामले सामने आ चुके है । दीपावली और छठ पर भीड़ को देखते हुए स्टाल संचालक मुनाफा कमाने के लिए खाने की गुणवत्ता से भी समझौता करने से बाज नहीं  आ रहे है। खास तौर पर जिन ट्रेनों में पैंट्री कार नहीं ही वो ट्रेन इनके टारगेट में होती है । एक ट्रेनों का देर से चलना और भूख से यात्रियों का व्याकुल होना, इनके लिए मोटा मुनाफा कमाने का साधन बन जा रह है ।

स्टेशन पर खाने की गुणवत्ता की जांच पर सवाल..

स्टेशन पर बिकने वाले खाने की जांच के लिए खाद्य सुरक्षा अधिकारी का पद तो लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। सूत्रों के अनुसार खाद्य सुरक्षा अधिकारी को हर माह 12 सैंपल जांच के लिए भेजना लेकिन दो से तीन सैंपल लेकर सिर्फ जांच के लिए भेजा जाता है, हालाकि जांच रिपोर्ट में क्या आता है और क्या करवाई होती है, इसे कभी किसी को बताया तक नहीं जाता है । सब कुछ फाइलों में दब जाता है ।

यात्रियों को बेहतर खाना मिले इसके लिए मंत्रालय की ओर से तमाम उपाय किए गए है लेकिन अधिकारियों के मनमानी के आगे सबकुछ फिसड्डी साबित हो जाते है।  स्टाल पर बिकने वाले खाने को जांच के लिए लैब में भेजने का अधिकार मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक को भी है । दरअसल उनके पद का पूरा नाम मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक एवं खाद्य निरीक्षक है लेकिन डीडीयू मंडल में इनसे सिर्फ साफ सफाई से जुड़े कार्य की ही निगरानी कराई जाती है । जबकि ecr जोन के अन्य मंडल में ये मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक भी खाने के सैंपल भी जांच के लिए भेजते है ।

खुलेआम स्टाल पर  वेंडर बनाते है ऑमलेट

डीडीयू जंक्शन पर अधिकारियों की नाक के नीचे नियमों को दरकिनार कर पूरा खेल धड्डले से चलता है लें उन्हें भनक तक भी लग पाती है या फिर यू कहें कि वो देखना ही नहीं चाहते है । डीडीयू जंक्शन के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर बने स्टाल पर खुलेआम ऑमलेट बनाया जाता है लेकिन उस पर कोई कार्रवाई भी होती है। यात्रियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए नियम यहां तक भी है कि स्टाल संचालक बाहर में जिस किचन से खाना बनाकर स्टाल पर बेचने के लिए ला रहे है, उसकी भी समय समय पर औचक जांच होनी चाहिए । सूत्रों के अनुसार यहां ये जांच भी नहीं होती है । 

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