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लाइसेंस की आड़ में चल रहा अवैध वेंडिंग का खेल, यात्रियों के स्वास्थ्य खिलवाड़  भी, पढ़िए पूरी खबर, समझिए खेल को

NEWS GUURU पीडीडीयू नगर : दिल्ली हावड़ा रूट का प्रमुख रेलवे स्टेशन पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन एक बार फिर अवैध वेंडरों की गिरफ्त में आ गया है । इस बार पूरा खेल लाइसेंस के आड़ में खेला जा रहा है । यानी स्टाल पर मिले लाइसेंस से अधिक संख्या में वेंडर स्टेशन पर अवैध रूप से सामन बेच रहे है।  सूत्रों के अनुसार स्टेशन पर कुल 48 वेंडर्स का ही मेडिकल विभाग की ओर से बनाया गया है जबकि इससे काफी अधिक संख्या ने वेंडर स्टेशन पर काम कर रहे है । काम करने का तरीका भी ऐसा में आपको फर्क भी नहीं कर पाएंगे, सभी लोग IRCTC और स्टाल के नाम की वर्दी भी पहने रहेंगे…सिस्टम के लूप होल्स का फायदा उठाकर पूरा खेल धड़ल्ले से चल रह है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन हमेशा से ही अवैध वेंडर्स की गिरफ्त में रहा है । समय समय पर उच्चाधिकारियों के दौरे के चलते इस काम पर लगा लगा जाती थी । बाद में पूरा खेल फिर से शुरू हो जाता था।  वक्त बदला तो इसका पैंतरा भी बदल गया। सिस्टम के लूप होल्स का फायदा उठाते हुए पूरे खेल को वेंडर्स की यूनिफॉर्म और लाइसेंस की आड़ में खेला जाने लगा । सूत्रों के अनुसार स्टाल संचालक ने कुछ वेंडर्स का मेडिकल और पुलिस वेरिफिकेशन करवाया, इसकी फीस भी जमा की । बाद में इस आड़ में शुरू हो गया अवैध वेडिंग का खेल । अवैध वेंडरों को भी यूनिफॉर्म पहना दी गई कि कोई फर्क ना जा सके । हालांकि वैध वेंडर्स के पास उनका आईडी कार्ड और एक बार कोड होता है । इस बार कोड कोड को स्कैन करके उसमें उसका मेडिकल और पुलिस वेरिफिकेशन से जुड़ी फाइलों को देखकर सहज ही दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा । अब सवाल यह है कि ऐसा करने की जहमत कौन उठाएगा , सिस्टम का हिस्सा बना चुके अवैध वेंडर्स पर कार्रवाई कौन करेगा ।

डीजल कालोनी स्थित रेलवे ट्रैक पर बैठे वेंडर्स

स्टेशन पर अनहाइजेनिक तरीके से बेचते है सामान

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर अवैध वेंडर्स को और से अनहाइजेनिक तरीके से सामान बेचा जाता है। गंदी से बाल्टी और पॉलीथिन वेंडर्स चना, पकौड़ा आदि बेचते है, वहीं कटा हुआ फल भी खुले में बेचा जाता है ।

ट्राली के नाम पर भी खेल

पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन पर जनरल कोच के पास लगने वाली खाने की ट्राली के नाम पर भी खेल हो रहा है । सूत्रों के अनुसार रेलवे की ओर से सिर्फ दो ट्राली का लाइसेंस दिया गया है लेकिन स्टेशन पर चार ट्राली का संचालन हो रहा है, जो कहीं ना कहीं रेल राजस्व की क्षति पहुंचा रहा है ।

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