उत्तर प्रदेश
थाना और चौकी प्रभारी की जानकारी के बिना पुलिसकर्मी किसी भी व्यक्ति को नहीं बैठा सकेंगे थाने में, डीजीपी ने जारी की गाइड लाइन , पढ़ें पूरी खबर

NEWS GURU (लखनऊ) । पुलिस अभिरक्षा में होने वाली मृत्यु / प्रताड़ना की घटनाओं के प्रभावी रोकथाम के लिए पुलिस महानिदेशक उत्तरप्रदेश प्रशांत कुमार ने पुलिस अधिकारियों और कर्मियो के लिए गाइड लाइन जारी की है । उन्होंने के गाइड लाइन का सख्ती से पालना किए जाने के निर्देश भी दिए है । नई गाइड लाइन के अनुसार गंभीर रोग से पीड़ित अभियुक्त थाने नहीं लाए जाएंगे। वहीं थाना प्रभारी और चौकी प्रभारी के जानकारी के बिना न तो किसी व्यक्ति का थाने लाया जाएगा और न ही वहां बैठाया जाएगा ।

डीजीपी प्रशान्त कुमार की ओर जारी की गई गाइडलाइन….
- किसी व्यक्ति/अभियुक्त को थाने पर पूछताछ के लिए लाने से पूर्व इस बात की पुष्टि कर ली जाए कि क्या वह पूर्व से किसी गम्भीर रोग से ग्रस्त तो नहीं है। गम्भीर रोग से ग्रस्त व्यक्ति / गिरफ्तार अभियुक्त को थाने पर कदापि न लाया जाए। यदि किन्ही कारणोंवश थाने पर लाये गये व्यक्ति/गिरफ्तार अभियुक्त आकस्मिक रूप से बीमार हो जाता है, तो इस आकस्मिकता के दृष्टिगत उसका समीप के चिकित्सालय में तत्काल उपचार कराया जाए।
- थाना प्रभारी / चौकी प्रभारी के जानकारी के बिना थाने अथवा पुलिस चौकी में किसी व्यक्ति को न तो लाया जाए और ना ही बैठाया जाए। यदि किसी व्यक्ति को किसी कारणवश लाया जाए तो इसका समुचित अभिलेखीकरण भी तत्समय ही किया जाए।
- यदि अभियुक्त / व्यक्ति बीमार अवस्था में है तो उसे समीप के चिकित्सालय में ले जाकर तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जाए।
- थानों पर किसी अभियुक्त/व्यक्ति से पूछताछ (INTERROGATION) का कार्य मनोवैज्ञानिक तरीको का प्रयोग करते हुए अत्यन्त धैर्यपूर्वक किया जाए। पूछताछ जिम्मेदार अधिकारी की उपस्थिति में की जाए। प्रत्येक पूछताछ थाना प्रभारी द्वारा स्वयं अथवा नामित निरीक्षक/ उप निरीक्षक द्वारा ही की जाए। जिसका विवरण पूछताछ रजिस्टर में अंकित किया जाए ..
- अभियुक्त की गिरफ्तारी एवं हवालात में दाखिल करते समय मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा डी० के० बसु बनाम स्टेट ऑफ बंगाल में पारित निर्णय में दिये गये निर्देशों का अक्षरशः पालन किया जाए। इस सम्बन्ध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा समय-समय पर पारित आदेशों का अध्ययन कर अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए।
- यदि पूछताछ के लिये लाये गये अभियुक्त का स्वास्थ्य बिगड़ने लगे तो उसे तुरन्त चिकित्सिालय ले जाया जाये, यथा सम्भव इस प्रक्रिया की फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी भी करा ली जाये तथा अभियुक्त की चिकित्सा में किसी भी दशा में विलम्ब न किया जाये।
- पुलिस अभिरक्षा में हुयी मृत्यु की घटनाओं के संबंध में पंजीकृत अभियोगो की सूचना 24 घण्टों के अन्दर मानवाधिकार आयोग को प्रत्येक दशा में प्रेषित कर दी जाये।
- पुलिस अभिरक्षा में मृत्यु के संबंध में पंजीकृत किये गये अभियोगों की विवेचना पूरी निष्पक्षता से करायी जाये।