बारिश से रेलवे कालोनियों का हुआ बुरा हाल, मंडल लोको अस्पताल परिसर में लगा बारिश का पानी, मरीजों को परेशानी

NEWS GUURU पीडीडीयू नगर । जिले में लगातार हो रही बारिश ने साफ-सफाई और पानी निकासी व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है । एसी कमरों में बैठकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शासन को आल दिखाने वाले अधिकारियों के बारिश ने आईना दिखा दिया है । बारिश के चलते सबसे खराब स्थित मंडल रेल अस्पताल की हो गई हैं । यहां परिसर में काफी पानी लग गया है । मरीजों को अस्पताल जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है ।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर स्थित रेलवे की यूरोपियन कालोनी को छोड़ दिया जाए तो शेष रेल कालोनियों का बुरा हाल है । दरअसल यूरोपियन कालोनी में मंडल रेल प्रबंधक के अलावा डीडीयू मंडल के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के आवास है । ऐसे में सफाई विभाग से जुड़े अधिकारियों का पूरा ध्यान इस यूरोपियन कालोनी ने व्यवस्थाओं को बनाए रखने में लगा रहता है । वहीं दूसरी तरफ अन्य कालोनियों उपेक्षा की शिकार हो गई है, ऐसे वहां पर उपलब्ध रेलवे की व्यवस्था पर भी अधिकारियों का ध्यान नहीं रहता है ।

लोको कालोनी स्थित मंडल लोको अस्पताल में में 100 बेड हैं । हर रोज यहां 250 के करीब मरीज आते है। इसके बावजूद यहां की व्यवस्थाएं भगवान भरोसे है । लगातार हो रही बारिश के चलते अस्पताल परिसर में पानी भर गया। मरीज और उनके तीमारदार पानी से होकर गुजरने को मजबूर रहे । वहीं दूसरी तरफ परिसर में पानी भरने से क्रिटिकल मरीजों को संक्रमण का खतरा भी बढ़ गया है ।
रेल आवासों में घुसा पानी
पंडित दीनदयाल उपाध्य नगर स्थित सेंट्रल और लोको कालोनी में काफी बुरा हाल हो गया है। लगातार हो रही बारिश के चलते गंदे नाले का पानी ओवरफ्लो होते हुए सड़क पर फैल गया है। वहीं पानी रेलकर्मचारियों के आवासों में भी घुस गया है । घर में रखे समान पानी में तैर रहे है। घर में रखे फ्रिज से लेकर चूल्हा तक पानी में है ।दअरसल बरसात के पहले नालों की सफाई कराई जाती है लेकिन ठेकेदारों और अधिकारियों की मिली भगत से सबकुछ कागजों पर साफ हो गया । जबकि रेलवे कालोनियों के नाले सिल्ट से भरे पड़े है। भ्रष्टाचार और लापरवाही का खामियाजा इस कालोनियों में रहे वाले तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को भुगतान पद है ।

अपनी आवाज भी नहीं बुलंद कर सकते हैं कर्मचारी
रेल प्रशासन में आज भी कोई कर्मचारी अपनी आवाज बुलंद नहीं कर सकता है । हाल ये है कि कर्मचारी शिक़ायत करने से भी डरते है, ऐसे में सबकुछ रेल मंडल के सर्वोच्च अधिकारियों की कृपा पर निर्भर रहता है । रेल आवास में पानी भरने बाद भी रेल कर्मचारी और इनके परिवार अपनी पीड़ा कहने से बचते नजर आए । हालांकि रेलवे में संगठनों की भरमार है ।







