
—क्या राजस्व बढ़ाने के चक्कर में आबकारी विभाग ने मूंद रखीं थीं आंखें..
NEWS GURU (पीडीडीयू नगर) । बाड़मेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस ट्रेन में दो आरपीएफकर्मियों की हुई हत्या के पीछे शराब तस्करों के शामिल होने की बात स्पष्ट हो चुकी है। सड़क से लेकर स्टेशन तक तस्करों की सांठगांठ भी सामने आ चुकी है । जांच में साफ हो चुका है कि शराब पीडीडीयू , अलीनगर के ठेकों से खरीदी जाती थी । अब इन सबके बीच आबकारी विभाग की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है । सवाल यह कि जब शराब के ठेकों से एक व्यक्ति को शराब बेचे जाने की मात्रा निर्धारित है तो कैसे तस्करों को एक साथ बड़े पैमाने पर शराब बेची जाती थी और इसकी भनक आबकारी विभाग को नहीं लग सकी , जबकि आबकारी विभाग में मिलावट और तस्करी की जांच के लिए क्षेत्रवार आबकारी इंस्पेक्टर से लेकर सिपाही तक तैनात किए गए है । क्या ये माना जाए कि राजस्व बढ़ाने के चक्कर में सभी खुली छूट दे दी गई थी …?
आरपीएफकर्मी कांस्टेबल मोहम्मद जावेद खान और प्रमोद कुमार की मौत ने खुलासे ने शराब तस्करी के खेल को पूरी तरह से उजागर कर दिया है। गाजीपुर पुलिस की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बता गया कि 19 अगस्त को पंकज कुमार , प्रेमचंद्र वर्मा और विनय कुमार ने अलीनगर और पीडीडीयू नगर में ठेके से किसी सुरेन्द्र नाम के व्यक्ति से शरण खरीदी थी , इसके बाद सभी डीडीयू जंक्शन आ आगे और ट्रेन में बैठ गए थे । इससे एक बाद बहुत स्पष्ट हो गई है सड़क से लेकर ट्रेन तक तस्करों का जाल फैला है । पूरे घटनाक्रम में कई आरपीएफ, जीआरपी की कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। वही। दूसरी तरफ सवाल आबकारी विभाग पर खड़े हो गए है । जिले में दुकानों के शराब की तस्करी ना हो , इसके अलावा मिलावटी शराब ना बिके इसकी जिम्मेदारी आबकारी विभाग की है । बावजूद इसके शराब तस्करी का खेल धड़ल्ले से चलता लेकिन विभाग ने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं या यूं कहें कि राजस्व बढ़ाने के चक्कर में विभाग ने दुकानों से भारी मात्रा में एक साथ हो रही शराब की सप्लाई की ओर ध्यान दें मुनासिब ही नहीं समझा । इस बाबत जब जिला आबकारी अधिकारी सुभाष चंद्र से बात की गई तो उन्होंने 15 दिनो से तबियत खराब होने की बात कहकर किसी भी प्रकार की जानकारी होने से इंकार कर दिया ।