पीडीडीयू नगररेलवे

DDU रेल मंडल में भ्रष्टाचार की जड़े गहरी, सीबीआई ने गया में मारा छापा, दीवारें ऊंची कर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में जुटे डीआरएम

NEWS GUURU पीडीडीयू नगर : रेलवे में भ्रष्टाचार का मामला खत्म नहीं हो रहा है। खासतौर पर डीडीयू रेल डिवीजन में भ्रष्टाचार की जड़े काफी गहरी हो चुकीं है ।पीडीडीयू और डेहरी आन सोन के बाद अब मंगलवार की सुबह सीबीआई और रेलवे विजलेंस की संयुक्त टीम ने DDU रेल मंडल  मंडल के गया स्थित सेंट्रल ट्रैक डिपो में छापा मारा। इस दौरान यहां वरीय सेक्शन इंजीनियर (एसएसई) और खलासी को अपने साथ ले गई। इस छापेमारी से मंडल में हड़कंप है।

इसी वर्ष तीन मार्च की रात पीडीडीयू नगर के काली महाल में एक लॉन में छापा मारकर सीबीआई ने विभागीय पदोन्नति में पैसे के लेन देन के मामले का खुलासा किया। इस मामले में चार मार्च को दो अधिकारियों, कर्मचारियों और लोको पायलटों को गिरफ्तार किया था।

यह मामला अभी चल ही रहा है कि 25 अप्रैल को डेहरी ऑन सोन के सोनगर में छापा मारकर एक एसएसई और तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार कर पटना ले गई। इस दौरान एक ट्रक चोरी का सामान बरामद हुआ।

इस मामले के एक सप्ताह भी नहीं बीता की सीबीआई और रेलवे विजिलेंस की संयुक्त टीम ने सोमवार को डीडीयू मंडल के गया जंक्शन स्थित सेंट्रल ट्रैक डिपो में छापेमारी की। कार्रवाई के दौरान एसएसई आरडी चौधरी और खलासी पद पर कार्यरत राजेश से पूछताछ के बाद उन्हें टीम अपने साथ ले गई। रेलवे के सूत्रों ने बताया कि सीबीआई की टीम सुबह करीब 11 बजे डिपो पहुंची और शाम छह बजे तक पूछताछ करती रही। इसके बाद दोनों केा अपने साथ पटना ले गई।

इस डिपो में पूर्व मध्य रेलवे के पांचों मंडलों के लिए आवश्यक ट्रैक सामग्रियों की आपूर्ति का केंद्र है। ऐसे में यहां किसी प्रकार की अनियमितता का असर व्यापक स्तर पर हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों डेहरी आन सोन ओर सोननगर में छापेमारी में चोरी का माल बरामदगी के मामले में डिपो पर छापा मारा गया। मंगलवार को इन दोनों को पटना की विशेष सीबीआइ कोर्ट में पेश किया गया। सुनवाई के बाद सीबीआइ के विशेष जज-1 अविनाश कुमार ने दोनों आरोपितों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।


आपूर्तिकर्ता फर्म से ली थी 7.92 करोड़ की रिश्वत

गया स्थित आपूर्ति निर्माण विभाग ट्रैक डिपो के स्टोर में विभिन्न निर्माण आपूर्तिकर्ता फर्म रेलवे फिटिंग से संबंधित विभिन्न वस्तुओं और निर्माण सामग्री की आपूर्ति करते हैं। निजी फर्म और आपूर्तिकर्ता जो फिश प्लेट, इंआरसी, नट-बोल्ट, एलसी फिटिंग की डिलीवरी देते हैं, उन्हें आपूर्ति की गई वस्तुओं की पावती रसीद के लिए मोटी कमीशन या फिर रिश्वत देनी होती है। सूत्रों का कहना है कि सीनियर सेक्शन इंजीनियर राम दास चौधरी के निर्देश पर राजेश कुमार हेल्पर ने 7.92 करोड़ रुपये का कमीशन और रिश्वत विभिन्न आपूर्तिकर्ताओं व फर्म से प्राप्त किया है। इस बात की पुष्टि हेल्पर ने पूछताछ में भी की। यह राशि नकद या बैंक खातों में प्राप्त की गई थी। राशि का बंटवारा विभिन्न लोगों के बीच किया गया था।

जब घर में लगी है भ्रष्टाचार की दीमक तो दीवारें ऊंची कर कैसे रोकेंगे भ्रष्टाचार

Ddu रेल डिवीजन में भ्रष्टाचार की जड़े काफी गहरी हो चुकी हैं । प्रमोशन से लेकर ठेके लेने तक में खुलेआम भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है। यहां तक कि रेल संपत्ति बेचने से भी रेलकर्मचारी बाज नहीं आ रहे हैं । आए दिन सीबीआई की रेड से पूरे देश में डीडीयू रेल डिवीजन की खूब किरकिरी हुई है । डिविजन की साख बचाने के लिए  नवागत डीआरएम उदय सिंह मीणा ने मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में आने वाले लोगों की निगरानी शुरू कर दी है। बिना परमिशन के एंट्री पर रोक लगा दी गई हैं । अधिकारी से मिलने आने वाले लोगों पर नजर भी रखी जा रही हैं। अंदर की बातें बाहर ना जाएं इसके लिए दीवारें तक ऊंची कर दी गई हैं डीआरएम कार्यालय में आग लगने की घटना वाले ही दिन किरकिरी से बचने के लिए उस दिन मीडिया की एंट्री पर रोक लगा दी । अब सवाल यह है कि क्या वाकई में नवागत डीआरएम की यह कवायद भ्रष्टाचार पर रोक लगा पायेगी तब जबकि भ्रष्टचार की जड़े मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में ही काफी गहरी जमी हुई है ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button