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ईश्वर ने जितनी लिखी है जिंदगी, आप चाह कर भी उसे समाप्त नहीं कर सकते ! आप से भी अधिक परेशान लोग है समाज में …आज सुबह सामने आई एक ऐसी ही महिला कहानी, पढ़िए इस रिपोर्ट में…

NEWS GUURU

आप इस सोच रहे होंगे कि शीर्षक के हिसाब से कोई घटना खबर के रूप में सामने आएगी । नहीं आज ऐसा कुछ नहीं होगा । आज इस पूरे मामले को एक कहानी के रूप में बताऊंगा… इस कहानी में एक भूमिका सरकारी अधिकारी की भी, जिन्होंने अपने फर्ज को निभाया है। मानवीयता की अच्छी मिसाल पेश की है ।

जो होना है वो होकर रहेगा

पारिवारिक कलह से परेशान बनारस की रहने वाली एक महिला तमतमाते हुए मंगलवार की रात घर से निकल जाती है।  घर वो ये तय करके निकलती है कि उसकी सभी समस्याओं का एक ही हल है कि जीवन की लीला समाप्त करा दें….लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था …आगे पढ़े

यह घटना समाज के कई पहलुओं की छूती है । कहानी बताती है कि जब हम अपने आप को दुनिया से अधिक परेशान और लाचार व्यक्ति समझते है तो हमसे भी लाचार या परेशान व्यक्ति समाज में जूझ रहा होता है। कहानी ने ये भी साबित किया है कि उस परम शक्ति ने आपकी जिंदगी जितनी लिखी है उसे आप चाह कर भी समाप्त नहीं कर सकते है..

मन में जीवन समाप्त करने की इच्छा

जीवन से जुड़ी उलझनों और दिमागी उथला पुथल के बीच सर्द हवाओं के बीच वो घर से निकल जाती है।  मन में जीवन को समाप्त  करने की प्रबल इच्छा होती है, लगता है कि जीवन की समस्याओं का ये ही अंत है । सर्द हवाओं के बीच दिमागी उलझन पारिवारिक झंझट का एक इलाज सूझ रहा था कि आज जीवन की समाप्त कर लिया जाए …

इस बीच महिला ने दिमागी उलझन को समाप्त करने के लिए खूब शराब पी ली, सोचा कि इससे हौसला मिलेगा और कठिन काम आसान हो जाएगा। हालांकि शराब के  साथ खून में उबाल तो आता है लेकिन ये कई बार आपको शांत भी कर देती है। (किसी को भी शराब पीने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जा रहा है ) शराब के सेवन के बाद सारी उलझने  काफ़ूर हो गई। किसी प्रकार महिला पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर स्थित सुभाष पार्क के सामने सड़क किनारे बने फुट पाथ पर सो गई । इस वक्त महिला के पास कुछ खाने का सामान था और पैरों में चप्पल भी थी ।

बुधवार की सुबह लगभग सात बजे नगर के प्रभारी ईओ राजीव मोहन सक्सेना टहलने और नगर का हाल जानने के लिए निकलते है। टहलते वक्त उनकी निगाह फुटपाथ पर सो इस महिला पर पड़ती है । अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए महिला को ऑटो से अस्थाई रैन बसेरे में भिजवाते है। इसके बाद इससे जानकारी लेते है आखिर वो फुटपाथ पर क्यों सो रही थी ।महिला सुबह सुबह अपने  जीवन का दर्द बयां करती है । बताती है पति कुछ कार्य नहीं करते है, घर की पूरी जिम्मेदारी उस पर है रोज की पारिवारिक कलह से उबकर वो घर से निकल आई थी।  हालांकि रैन बसेरे में महिला के लिए चाय और नाश्ते का प्रबंध भी किया था

महिला ने बताया कि रात में घर निकली थी तो मन जीवन को समाप्त करने की इच्छा थी लेकिन नशे के हाल में फुटपाथ पर सो गई । महिला ने बताया कि रात में ना जाने उसे किसी ने कंबल ओढ़ा दिया । हालांकि महिला ने ये भी बताया कि उसकी चप्पल और खाना रात में उसके पास था लेकिन सुबह उसके पास नहीं था।

फिलहाल महिला को काउंसलिंग के बाद घर भेजने के निर्देश ईओ ने अपने मातहतों को दिए है ।

यहां एक बात समझना बहुत जरूरी है एक महिला घर से निकली कि आज जीवन की लीला को समाप्त कर दिया जाए लेकिन हुआ कुछ और , अब दूसरा पहलू देखिए कि उस महिला के पास पैरों में चप्पल और खाना था । जो सुबह गायब मिला यानी समाज में इस महिला से भी खराब स्थिति वो शख्स था जिसे उस चप्पल और खाने की आवश्यकता थी, उसे वहां से उठा ले गया। तीसरा पहलू ये कि महिला सर्द हवाओं के बीच बिना किसी कम्बल के सड़क किनारे सोई थी, कोई रहनुमा आया और उस महिला को कम्बल ओढ़ा कर चला गया ।

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