
चंदौली। एक वक्त था जब पूर्वांचल में बिहार स्थित मुंगेर में बने असलहों की डिमांड हुआ करती थी। अब मध्यप्रदेश के खंडवा और उसके आसपास के जिलों से पूर्वांचल में अवैध असलहों की सप्लाई का मामला सामने आया है। सदर कोतवाली पुलिस और स्वाट की संयुक्त टीम ने जगदीशसराय ओवर ब्रिज के पास से राजू यादव नामक युवक को गिरफ्तार किया। राजू के पास मौजूद पिट्टू बैग से पुलिस ने पांच पिस्टल व पांच कारतूस बरामद किये थे। सभी पिस्टल मध्य प्रदेश के खंडवा लाकर वाराणसी और आसपास के जिलो में सप्लाई करनी थी। अपर पुलिस अधीक्षक विनय कुमार सिंह ने बताया कि आरोपी इसके पहले भी तीन बार खंडवा से पिस्टल लाकर सप्लाई कर चुका है। बता दें कि मध्य प्रदेश में इन अवैध असलहों के बनाने का काम सिकलीगर समाज के लोग करते है।

तीन सौ से चार सौ रुपयें बन जाता है अवैध तमंचा
सिकलीगर समाज के बारे में छपी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह लोग लोहे के कबाड़ से तमंचा बनाने में माहिर है। एक नल के पाइप व अन्य सामान से देशी पिस्टल आसानी से तैयार कर लेते है। 25 से 30 रुपये किलो को लोहा खरीदकर उसे चंद औजारों की मदद से 10 से 12 दिन के अंदर तमंचे का रूप देते है। इनके बनाये गये असलहे की बाजार में काफी डिमांड है। इनके असलहे इतने अच्छी क्वालिटी के होते है कि असली और नकली का दूर से फर्क पहचाना मुश्किल हो जाता है।
इसके बाद इसे पांच से सात हजार रुपये में बेच देते है। तमाम तस्करों और दलालों के हाथों से होते हुए एक पिस्टल खरीदार को 30 से 40 हजार रुपये में बेची जाती है। अग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई के दौरान सिकलीगर पहले अपने धर्मगुरूओं के लिए हथियार बनाते थे ।
मध्य प्रदेश का निमाड़ अंचल अवैध असलहों का गढ़
विभिन्न समाचार पत्रों और न्यूज पोर्टल पर प्रकाशित खबर के अनुसार निमाड अंचल में बड़वानी, खरगोन, बुरहानपुर, खंडवा जिले आते है। इनमें से बड़वानी, खरगोन व बुरहानपुर में बड़े पैमाने पर अवैध हथियारों का निर्माण हो रहा है।वहीं अवैध हथियारों की मंडी के रूप में खंडवा सामने आ रहा है। पुलिस की कार्रवाई के बाद भी इन पर रोक नहीं लग पा रही है। खंडवा के रास्ते निमाड़ के हथियार अन्य प्रदेशों तक पहुंच रहे है। हथिरयारों के निर्माण के लिए सिकलीगरों ने अवैध फैक्ट्री तक लगा रखी है। इन जिलों के गांव में यह एक लघु उद्योग का रूप ले चुका है। एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां के बने हथियारों की मांग यूपी, पंजाब और हरियाणा में अधिक हो गई है।