
NEWS GURU (चंदौली) । सदर कोतवाली क्षेत्र के बिछिया गांव की समीप मजिस्ट्रेट लिखी अनियंत्रित बोलेरों ने एक व्यक्ति को धक्का मार दिया था । बाद में मामले की पड़ताल हुई तो पता चला कि वाहन की फिटनेस फेल थी । इस घटना के बाद से सवाल खड़ा हो गया है कि क्या सरकारी विभागों में ठेके पर चल रहे सभी वाहनों की फिटनेस दुरुस्त है, सवाल ये कि इन वाहनों का बीमा और प्रदूषण से संबंधित कागजात भी सही है या नहीं …बहराल घटना ने ठेके पर सरकारी कार्यालयों में लगे वाहनों की सेहत पर सवाल खड़े कर दिए है ।
बताते हैं कि बिछिया गांव के समीप पेंटर गुरूपाल ठेकेदारी पर दीवार के ऊपर वाल पेंटिंग बना रहा था, इसी दौरान मजिस्ट्रेट लिखी एक तेज रफ्तार बोलेरो अनियंत्रित हो गई और नाले के ऊपर चढ़ते हुए पेंटर को टक्कर मार दी । घटना में पेंटर गुरूपाल गंभीर रूप से घायल हो गया । वहीं बोलेरो चालक मौके से फरार हो गया । बाद में मौके पर पहुंची पुलिस ने तत्काल घायल पेंटर को अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसका ईलाज चल रहा है।
टक्कर मारने वाले बोलेरो का फिटनेस फेल
बिछियां में मजिस्ट्रेट लिखी जिस बोलेरो ने वाल पेटिंग कर रहे पेंटर को टक्कर मारी उसके नंबर प्लेट में त्रुटि के साथ ही कई अन्य खामियां सामने आयी हैं । जिसके बाबत एआरटीओ प्रवर्तन ने सर्वेश गौतम ने बताया कि दुर्घटना करने वाले बोलेरो के पंजीयन नंबर यूपी 67 AT 7749 के आनलाइन डाटा को चेक किया गया, जिसमें उक्त वाहन कामर्शियल कैटेगरी में पंजीकृत पायी गयी, लेकिन वाहन पर सफेट नंबर प्लेट लगा था, जबकि उक्त वाहन पर पीले रंग की नंबर प्लेट होनी चाहिए इसके अलावा उक्त वाहन का फिटनेश अप्रैल-2024 में समाप्त हो गया, जबकि टैक्स जून-2024 तक जमा होना पाया गया. वाहन पर बत्ती और हूटर लगे होने पर सवाल पर उन्होंने बताया कि बत्ती लगाने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास नहीं है, लेकिन कई बार मजिस्ट्रेट को आकस्मिक हालात में अधिकारी इसका उपयोग कर सकते है । फिलहाल जिस तरह से बोलेरो ने पेंटर को टक्कर मारी, उससे बोलेरो के चालक की दक्षता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं और यह जांच का विषय है कि उक्त वाहन को चलाने वाला चालक कामर्शियल डीएल धारी था अथवा नहीं।
नियमों को दरकिनार कर रेलवे ने ठेके पर चलते है वाहन !
पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर स्थित डीआरएम कार्यालय ने कई चार पहिया वाहन ठेका प्रथा पर चल रहे है। सूत्रों के अनुसार अधिकतर वाहन नियमों का पालन ही नही करते है। अधिकतर वाहनों पर ना तो कमर्शियल नंबर है और ना ही इनके फिटनेस और बीमा की जांच होती है । रेलवे क्षेत्र में अधिकतर वाहन चलने के कारण Arto विभाग को ओर से इनकी जांच भी नही हो पाती है। इससे राज्य सरकार को राजस्व का भी घाटा होता हैं। इसके अलावा इन वाहनों कर भारत सरकार भी लिखा रहता है । एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में वीआईपी कल्चर समाप्त कर रहे है वहीं दूसरी तरफ रेलवे में इस कोई ध्यान ही नही है ।